कम्युनिकेशंस कम्पेटिबिलिटी और सिक्योरिटी एग्रीमेंट के तहत इंडिया को अति सुरक्षित कोड युक्त संचार प्रणाली हासिल होने का मार्ग प्रशस्त हुआ। यह टेक्नोलॉजी कम से कम उस दौर में सबसे महत्वपूर्ण हो जाती है, जब चीन ने अपनी रक्षा-रणनीति की गोटियां हिंद महासागर में इस तरह से बिछा रखी हों। कामकासा यानि कम्युनिकेशंस के फलस्वरूप इंडिया को सी-17, सी-130 और पी-8 आई जैसे अमेरिकी ओरिजिन मिलिट्री प्लेटफार्म सूचनाओं को इनक्रिप्ट करने वाले विशिष्ट उपकरण हस्तांतरित करने का वादा हुआ।
अंतिम फाउंडेशनल एग्रीमेंट बेका (बेसिक अदला बदली और कोआपरेशन एग्रीमेंट) के प्रमुख रूप से दो आयाम थे। पहला, इंडिया और अमेरिका भविष्य में महत्वपूर्ण और संवेदनशील खुफिया जानकारी साझा करेंगे और दूसरा इंडिया अमेरिका से उन्नत हथियार और उपकरण खरीद सकेगा। ध्यान रहे कि इसके बाद इंडिया की क्लासीफाइड भू-स्थानिक आंकड़ों के साथ सैन्य एप्लीकेशंस से जुड़ी जानकारी तक पहुंच होगी और दोनों देश मैप नाटिकल और एयरोनाटिकल चार्ट, वाणिज्यिक एवं अन्य अनक्लासीफाइड तस्वीर, भूभौतिकी, भू-चुंबकीय और गुरुत्वाकर्षण से जुड़े डाटा एक-दूसरे के साथ साझा कर सकेंगे।
India Technology :
India Technology : कूटनीति के इस तरह के विकास क्रम में रक्षा पर विशेष फोकस की कुछ वजहें रहीं जिनमें प्रमुख थी- बदल रही विश्व व्यवस्था। इन्हें रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा करने, सीरिया में चल रहे संघर्ष और प्रशांत महासागर में चीनी आक्रामकता अथवा इंडो-प्रशांत में इंडिया -अमेरिका -जापान -आस्ट्रेलिया के बीच बन रहे रणनीतिक चतुर्भुज में देखा जा सकता है। रूस-यूक्रेन युद्ध को भी इसी क्रम में एक कड़ी माना जा सकता है। ऐसी स्थिति में आवश्यक हो जाता है कि दो देशों -विशेषकर- उनके जो विश्व व्यवस्था में अपना स्थान कायम रखना चाहते है। के बीच स्थापित संबंधों को मुख्य रूप से रक्षा और सामरिक रणनीति की तैयारियों की ओर मोड़ दिया जाए। इंडिया और अमेरिका ने यही किया।
India Technology : निसंदेह इससे इंडिया को लाभ मिला। इंडिया को गैर नाटो देश होते हुए भी यदि यह सुविधा हासिल हुई है तो यह इंडिया के लिए महत्वपूर्ण है। अमेरिका इंडिया को एसटीए-1 (कंट्रीज एनटाइटिल्ड टू स्ट्रैटेजिक ट्रेड अथोराइजेशन) की श्रेणी प्रदान कर चुका है जो पहली बार किसी गैर नाटो देश के रूप में इंडिया को दी गई है। वर्तमान समय में इस सूची में 36 देश हैं जिनमें अधिकांश नाटो देश हैं। यही नहीं इंडिया और अमेरिका की दोस्ती का ही परिणाम है कि इंडिया को एमटीसीआर यानि (मिसाइल टेक्नोलाजी कंट्रोल रेजीम) में प्रवेश मिला, जबकि अभी तक चीन इस व्यवस्था में प्रवेश पाने में असफल रहा है। इसके बाद इंडिया उच्चस्तरीय मिसाइल टेक्नोलॉजी के अदला बदली और खरीद करने में सक्षम हो गया।