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  • Udaipur Wildlife Sanctuary Bettiah: सरैयामन झील और उदयपुर जंगल, जानिए इसकी पूरी कहानी, Tourism Place Guide, Lake & Wildlife Bettiah

    Udaipur Wildlife Sanctuary Bettiah: सरैयामन झील और उदयपुर जंगल, जानिए इसकी पूरी कहानी, Tourism Place Guide, Lake & Wildlife Bettiah

    Udaipur Wildlife Sanctuary Bettiah: बिहार के बेतिया शहर (West Champaran) से लगभग 12km दूर उदयपुर जंगल (Udaipur Wildlife Sanctuary Bettiah), जिसे स्थानीय रूप से “सरैयामन झील” के नाम से भी जानते है। यह जगह न सिर्फ हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है, बल्कि यहाँ की झील का पानी बहुत मीठा है और वन्यजीव इसे और भी खास बनाते हैं। Udaipur Wildlife का सबसे प्रमुख आकर्षण इसकी सरैयामन झील है।

    हर साल बसंत ऋतु में हज़ारों पक्षी इस जंगल में आते हैं, जिनकी चहचहाहट पूरे इलाके को जीवंत बना देती है। यही कारण है कि इसे पक्षी प्रेमियों के लिए “पक्षी दर्शन का स्वर्ग” कहा जाता है। प्राकृतिक रूप से निर्मित यह अभयारण्य छोटा है (लगभग 8.74 वर्ग km), लेकिन इसकी भौगोलिक संरचना बेहद खास है। झील, दलदली भूमि, घासभूमि और खैर-शीशम जैसे पेड़ों से घिरा यह क्षेत्र वन्यजीवों और पक्षियों के लिए एक सुरक्षित आवास है। यहाँ नीलगाय, घोरपड, हिरन, सियार, खरगोश, जंगली बिल्ली जैसे स्थलीय जीव और विभिन्न मछलियाँ, कछुए भी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।

    Udaipur Wildlife को 1978 में आधिकारिक तौर पर एक स्थल घोषित किया गया था। यह वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित है। तब से, यह क्षेत्र स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बना हुआ है। हाल के वर्षों में, बिहार सरकार और वन विभाग ने इसके विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। इस जंगल के बारे में जानने के लिए हमारी वेबसाइट, बेतिया न्यूज़, के साथ बने रहें हम आगे इसके बारे में सब कुछ बताने जा है।

    उदयपुर के सरैयामन वन में इकोटूरिज्म की मुख्य विशेषताएं: Udaipur Wildlife Sanctuary

    • जलीय परिचय
    • पक्षी संबंध
    • पर्यावरण/अनुकूल विकास
    • नौका विहार और बैटरी से चलने वाले वाहन
    • स्थानीय रोज़गार

    जलीय परिचय: उदयपुर के जंगल का सबसे बड़ा आकर्षण सरैयामन झील है, जो एक प्राकृतिक oxbow lake है। यह झील विभिन्न प्रकार की मछलियों, कछुओं और अन्य जलीय जीवों का घर है। बेतिया सरैयामन झील में कुछ अनोखे जलीय पौधे भी हैं, जैसे एजोला, लेमिना और जलकुंभी, जो इसे जीव विज्ञान के लिए महत्वपूर्ण बनाते हैं। यह न केवल पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखती है, बल्कि स्थानीय लोगों की आजीविका को भी सहारा देती है।

    पक्षी संबंध: हर एक सर्दियों (Udaipur Wildlife Sanctuary Bettiah) में हज़ारों प्रकार के पक्षी इस झील और जंगल में आते हैं। साइबेरिया और एशियाई क्षेत्रों से आने वाले ये पक्षी इसे “पक्षी-दर्शन का स्वर्ग” बनादेता हैं। यहाँ 38 से ज़्यादा विदेशी पक्षियों की प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं, जो पक्षी प्रेमियों के लिए एक बड़ा आकर्षण हैं। यहाँ 48 से ज़्यादा एशियाई पक्षी भी देखे जा सकते हैं। पक्षियों की चहचहाहट और हवा में उड़ते हुए नज़ारे हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

    पर्यावरण/अनुकूल विकास: उदयपुर जंगल बेतिया यहाँ की इको-टूरिज्म परियोजना को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि जंगल और झील के प्राकृतिक अजूबों पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े। हर गतिविधि पर्यावरण के अनुकूल तरीके से संचालित की जाती है, किराये के लिए कॉटेज और कमरे जैसी पर्यावरण-अनुकूल संरचनाएँ बनाई गई हैं। एक पूरी तरह सुसज्जित कैंटीन भी स्थापित की गई है। जिससे जंगल की हरियाली और विविधता बना रहे।

    नौका विहार और बैटरी से चलने वाले वाहन उदयपुर जंगल बेतिया: नौका विहार (Udaipur Wildlife) पर्यटक बैटरी चालित वाहनों से जंगल के चारों ओर घूमकर oxbow झील का आनंद अब आप ले सकते हैं। खास बात यह है कि नावें और सफारी वाहन बैटरी से संचालित होंगे, ताकि प्रदूषण कम हो और प्रकृति को कोई नुकसान न पहुंचे।

    स्थानीय रोज़गार: इको टूर पर्यटन के माध्यम से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलते हैं, जिससे क्षेत्र के छोटे समुदाय और पर्यटन को बढ़ावा मिलता है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है और लोग संरक्षण में भी सहयोग कर रहे हैं।

    बेतिया उदयपुर जंगल की भौगोलिक संरचना

    • क्षेत्रफल: लगभग 8.74 वर्ग किलोमीटर।
    • जलवायु: उष्णकटिबंधीय, साल भर हरा-भरा।
    • मुख्य आकर्षण: सरैयामन झील (ऑक्सबो झील)
    • पर्यावरण: दलदली भूमि, घास के मैदान, झाड़ियाँ और खैर व शीशम जैसे पेड़।

    Udaipur Wildlife Sanctuary अपने छोटे आकार के बावजूद, यह एक समृद्ध जैव विविधता वाला क्षेत्र है, जहाँ विभिन्न प्रकार के पक्षी और वन्यजीव रहते करते हैं। यहाँ की हरियाली और वनस्पतियों और जीवों की विविधता स्थानीय पारिस्थिति की तंत्र को मज़बूत बनाती है।

    और पर्यटकों को प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत अनुभव प्रदान करती है, गर्मियों और सुहावनी सर्दियों के साथ, यह जगह साल भर घूमने लायक जगह है। यह झील प्राकृतिक रूप से निर्मित है और प्रवासी पक्षियों के लिए एक आदर्श आवास है, जो इसे पक्षी प्रेमियों के बीच बेहद लोकप्रिय बनाता है।

    उदयपुर वन का स्थलीय जानवर क्या है?

    • नीलगाय
    • हिरण
    • सियार
    • खरगोश
    • जंगली बिल्ली
    • विभिन्न मछलियाँ
    • कछुए
    • साँप और नेवले

    यहाँ पाए जाने वाले प्रमुख स्थलीय जीवों जैसे की नीलगाय इस क्षेत्र की प्रमुख बड़ी वन्यजीव प्रजातियों में से एक है, जो अक्सर झाड़ियों और घास के मैदानों में देखी जाती है।

    सियार और जंगली बिल्ली छोटे शिकारी जीव हैं जो वन पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखते हैं। Udaipur Wildlife Sanctuary Bettiah यहाँ खरगोश प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो अन्य जानवरों के लिए भोजन का स्रोत प्रदान करते हैं।

    हिरण और नेवले की प्रजातियाँ वन की जैव विविधता को और समृद्ध बनाती हैं। वन विभाग ने स्थलीय जीवों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था स्थापित की है। पर्यटक इन जीवों को सुरक्षित दूरी से देख सकते हैं और उनके व्यवहार को बारीकी से देख सकते हैं।

    Udaipur Wildlife Sanctuary Bettiah: उदयपुर बेतिया का जंगल क्यों खास है?

    • वनस्पति: उदयपुर जंगल बेतिया अभयारण्य में बबूल, शीशम सख्वा बेत और अन्य वृक्ष प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
    • वन्यजीव विविधता: Udaipur Wildlife Sanctuary यहाँ चित्तीदार हिरण, जंगली सूअर, नीलगाय, भेड़िया और जंगली बिल्ली, साँप, उदबिलाऊ, सहित विभिन्न प्रकार के वन्यजीव भी पाए जाते हैं।
    • जलपक्षी आवास: Udaipur Wildlife यह आर्द्रभूमि प्रवासी और स्थानीय जलपक्षियों का एक प्रमुख आवास है, जहाँ पक्षीविज्ञानियों ने विभिन्न प्रजातियों की उपस्थिति देखि जाती है।
    • प्राकृतिक सौंदर्य: उदयपुर जंगल बेतिया यह स्थल गंडकी नदी के बाढ़ क्षेत्र में स्थित एक oxbow झील पर बना हुआ है, जो इसे एक प्राकृतिक और खूबसूरत स्थल बनाता है।

    यहाँ आने वाले प्रवासी पक्षी इसे “पक्षी दर्शन का स्वर्ग” बनाते हैं। सर्दियों और बसंत में, हज़ारों विदेशी और स्थानीय पक्षी झील और दलदली भूमि पर उतरते हैं, जिससे पूरा वातावरण जीवंत हो उठता है।

    Udaipur Wildlife Bettiah पक्षी दर्शन के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा माना जाता है। पर्यटक संरक्षित पगडंडियों पर टहल सकते हैं, नाव की सवारी कर सकते हैं और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं।

    उदयपुर वन प्रकृति, शांति और रोमांच के मिश्रण की तलाश करने वाले यात्रियों के लिए एक आदर्श स्थान है।

    उदयपुर वन्यजीव अभयारण्य के बारे में

    ऐतिहासिक रूप से, Udaipur Wildlife Sanctuary को 29 अप्रैल, 1978 को आधिकारिक रूप से पवित्र घोषित किया गया था।

    पटना वन अधिसूचना संख्या 12/78 का उद्देश्य प्रवासी पक्षियों और स्थानीय जैव विविधता का संरक्षण करना है। हाल के वर्षों में, इसे एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है।

    इसे 2025 में आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा। पर्यटक न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकेंगे, बल्कि नौका विहार, पक्षी दर्शन और जंगल सफारी जैसी गतिविधियों का भी आनंद ले सकेंगे। झील के किनारों पर हज़ारों पक्षी सुबह के समय आते हैं, जो इसे पक्षी प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान बनाते हैं।

    वन विभाग ने सुरक्षा, प्राकृतिक और पर्यटन मार्ग विकसित किए हैं ताकि पर्यटक सुरक्षित रूप से झील की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकें। इसका उद्देश्य न केवल पर्यटन को बढ़ावा देना है, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार भी प्रदान करना है।

  • History of Sant Ghat Temple: बेतिया में चंद्रावती नदी के तट पर स्थित है यह अनोखा संत घाट शिव मंदिर, जानिए इसकी पूरी कहानी।

    History of Sant Ghat Temple: बेतिया में चंद्रावती नदी के तट पर स्थित है यह अनोखा संत घाट शिव मंदिर, जानिए इसकी पूरी कहानी।

    Sant Ghat Temple, Bettiah: बेतिया शहर में स्थित संत घाट मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सौंदर्यपरक स्थल भी है। चंद्रावती नदी के तट पर स्थित Sant Ghat Temple, इसकी हर ऊँचाई और ढलान स्थानीय संस्कृति, परंपराओं और प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाती है।

    छठ पूजा सहित हिंदू त्योहारों के दौरान यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। छठ घाट मेला बिहार का दूसरा सबसे बड़ा घाट माना जाता है, जहाँ हज़ारों श्रद्धालु आते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर (Sant Ghat Temple) का निर्माण 1826 में वैश्य (सुनार) समुदाय के एक कुलीन व्यक्ति ने करवाया था। नदी के किनारे एक स्नानागार के खंडहर मौजूद हैं, जहाँ बेतिया राज की रानी स्नान किया करती थीं।

    कहा जाता है कि लगभग 2 किमी दूर स्थित सागर पोखरा मंदिर में एक भव्य आंतरिक सुरंग थी। रानी इसी सुरंग के माध्यम से मंदिरों में आती-जाती थीं। पास के मंदिर में राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियाँ हैं। इसके बगल में एक छोटा सा शिव मंदिर है। हमारे साथ बने रहिए, हम आपको संत घाट मंदिर के बारे में सब कुछ बताने जा रहे हैं।

    The history of Sant Ghat Temple: तथा मंदिर कब और कैसे बना

    संत घाट मंदिर का निर्माण लगभग 1826 ई. में हुआ माना जाता है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, मंदिर का निर्माण वैश्य समुदाय के स्वर्णकार समुदाय के एक प्रमुख व्यक्ति द्वारा शुरू कराया गया था। घाट के किनारे एक प्राचीन स्नानागार भी है, जो देखने में काफी सुंदर है।

    कहा जाता है कि बेतिया की रानी इस नदी में स्नान किया करती थीं, जो एक गुफा से होकर बहती है। लगभग उसी समय, 1826 में, बेतिया की रानी ने एक गुफा का निर्माण भी करवाया था, जहाँ रानी स्नान किया करती थीं। परिसर में राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं।

    मंदिर के अंत में एक छोटा सा शिव मंदिर है, इसीलिए इसे संत घाट शिव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान स्थानीय जीवन का एक हिस्सा है, जहाँ लोगों ने समय के साथ इसे अपनी आस्था और सांस्कृतिक उथल-पुथल का अभिन्न अंग बना लिया है, जैसे आज भी सुबह और शाम आस-पास के इलाकों से लोग आकर वहाँ बैठते हैं, चाहे हिंदू हों या मुसलमान, सभी वहाँ जाते हैं, वहाँ का वातावरण बहुत ही सुहावना होता है।

    Sant Ghat Temple: छठ पूजा का प्रमुख धार्मिक स्थल

    बिहार के पश्चिमी चंपारण ज़िले के बेतिया शहर में स्थित संत घाट मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जिसकी गिनती बिहार के प्रमुख घाटों में होती है। अपनी सुंदर बनावट के साथ, यह पंडाल हज़ारों श्रद्धालुओं के लिए, खासकर छठ पूजा के दौरान, श्रद्धा का केंद्र होता है। हर साल यहाँ श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। भक्त यहाँ सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं और यह घाट भक्ति और आध्यात्मिकता का संगम है। इस घाट का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि यहाँ उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

    स्थानीय समितियाँ और प्रशासन छठ पूजा की तैयारी में घाट की सफाई, सजावट और सुरक्षा के व्यापक प्रबंध करते हैं। यह अनुष्ठान चलता है और इस दौरान नदी की भी सफाई की जाती है। भक्त यहाँ स्नान करके शुद्धि करते हैं और भक्ति भाव से सूर्य देव की पूजा करते हैं। शाम के समय, घाट आकाश के तारों की तरह दीपों से जगमगा उठता है और वातावरण भक्तिमय भजनों से गूंज उठता है।

    संत घाट (Sant Ghat Temple) न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है, जहाँ सभी धर्मों के लोग सुबह-शाम एकत्रित होकर यहाँ के शांतिपूर्ण वातावरण का आनंद लेते हैं। छठ पूजा के दौरान यहाँ का नज़ारा अनोखा होता है, जो हर श्रद्धालु और पर्यटक को आध्यात्मिक शांति और उत्साह से भर देता है।

    पूजा-आराधना एवं अन्य धार्मिक गतिविधियां: संत घाट मंदिर

    • महाशिवरात्रि: संत घाट मंदिर स्थित शिव मंदिर में विशेष जलाभिषेक और रुद्राभिषेक का आयोजन किया जाता है। भक्त मोनाको की धुन पर “बोल बम” का जयकारा लगाते हुए पूरी रात जागरण करते हैं। इस दिन बड़ी संख्या में शिव भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
    • राम नवमी: राम नवमी के अवसर पर संत घाट मंदिर (Sant Ghat Temple) में विशेष पूजा और गजरा का आयोजन किया जाता है। देश-विदेश के कलाकारों को भजन प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। भक्त भगवान राम का जन्मोत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन और रामायण पाठ का भी आयोजन किया जाता है।
    • गणेश चतुर्थी: गणेश चतुर्थी पर भगवान शिव की एक विशेष मूर्ति स्थापित कर उसकी पूजा की जाती है। भक्तगण भगवान गणेश को मोदक, मिठाई, प्रसाद और शुभकामनाएँ अर्पित करते हैं। Sant Ghat Temple पर सजावट और दीप प्रज्ज्वलन से भक्तिमय वातावरण बनता है।
    • अन्य कार्यक्रम: दुर्गा पूजा, सरस्वती पूजा और जन्माष्टमी जैसे त्यौहार भी श्रद्धापूर्वक मनाए जाते हैं। इन त्यौहारों के दौरान मंदिर परिसर में दीप और फूल बेचे जाते हैं।

    बेतिया स्थित संत घाट मंदिर का धार्मिक महत्व केवल छठ पर्व तक ही सीमित नहीं है। बल्कि, यह मंदिर विभिन्न अनुष्ठानों और उत्सवों का केंद्र है। आस-पास के गाँवों और कस्बों से भक्त प्रतिदिन सुबह और शाम पूजा-अर्चना के लिए मंदिर आते हैं। इस घाट पर आरती, भजन-कीर्तन और जलाभिषेक किया जाता है।

  • Sagar Pokhara Shiva Temple Bettiah: सागर पोखरा शिव मंदिर का इतिहास, आस्था और वास्तुकला का अद्भुत संगम

    Sagar Pokhara Shiva Temple Bettiah: सागर पोखरा शिव मंदिर का इतिहास, आस्था और वास्तुकला का अद्भुत संगम

    Sagar Pokhara Shiva Temple Bettiah: पश्चिम चंपारण जिले का बेतिया शहर अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। इनमें से सागर पोखरा शिव मंदिर भी बहुत प्रमुख है। सागर पोखरा शिव मंदिर हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। महाशिवरात्रि, सावन और अन्य विशेष अवसरों पर दूर-दूर से लोग मंदिर में दर्शन के लिए आते रहते हैं।

    इस मंदिर का महत्व केवल आस्था तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह बेतिया के इतिहास, स्थापत्य कला और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। यहाँ मनोकामना महादेव, माता पार्वती, माता दुर्गा, भगवान गणेश, भगवान कार्तिक, भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, भगवान बटुक भैरव, भगवान श्रीराम और लक्ष्मण वीर हनुमान के कंधों पर विराजमान हैं।

    बेतिया का प्रसिद्ध सागर पोखरा शिव मंदिर (Sagar Pokhara Shiva Temple Bettiah) न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इतिहास और संस्कृति का अमूल्य खजाना भी है। स्थानीय मान्यताओं और ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच हुआ था। इसका निर्माण और विकास बेतिया राजपरिवार के संरक्षण में किया गया था।

    सागर पोखरा शिव मंदिर बेतिया का निर्माण कब और कैसे हुआ?

    बेतिया के राजपरिवार द्वारा स्थापित एक सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत है अपना शिव मंदिर। उच्च गुणवत्ता वाले पत्थर, पारंपरिक नक्काशी, बौद्ध और धार्मिक प्रतीक, और एक तालाब की उपस्थिति इसे स्थापत्य की दृष्टि से अद्वितीय बनाते हैं। बेतिया राजपरिवार ने सागर पोखरा शिव मंदिर (Sagar Pokhara Shiva Temple Bettiah) का निर्माण करवाया था।

    स्थानीय समाचार स्रोतों से संकेत मिलता है कि निर्माण 14वीं शताब्दी में शुरू हुआ था। कुछ स्रोतों में यह भी उल्लेख है कि मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी के आसपास हुआ था। राजाओं ने मंदिर के साथ एक तालाब (पोखरा) भी खुदवाया, जिससे इसकी सुंदरता और महत्व में बहुत वृद्धि हुई। मंदिर के लिए पत्थर राजस्थान और विंध्याचल से मंगवाए गए थे।

    ये पत्थर दुर्लभ और उच्च गुणवत्ता वाले हैं, बाहरी और आंतरिक दोनों ओर की नक्काशी शिल्प कौशल के प्रति प्रेम को दर्शाती है। बाहरी दीवारों, स्तंभों और मेहराबों पर उत्कृष्ट पत्थर का काम दिखाई देता है। निर्माण में विदेशी कारीगरों का योगदान भी उल्लेखनीय है। स्थानीय किंवदंतियों और समाचार रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि कारीगर विदेशों से भी लाए गए थे।

    महाशिवरात्रि और सावन पर आस्था का शिखर सागर पोखरा शिव मंदिर

    महाशिवरात्रि के अवसर पर बेतिया के सागर पोखरा शिव मंदिर में शिव शोभा यात्रा निकाली जाती है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं। सागर पोखरा शिव मंदिर में महाशिवरात्रि सबसे बड़ा उत्सव है। सुबह से ही भक्तों का तांता लग जाता है। मंदिर और तालाब परिसर को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है।

    सावन के महीने में सोमवार का भी विशेष महत्व होता है। हर सोमवार को भक्त गंगा जल और अन्य पवित्र जल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। इस शोभायात्रा में थाईलैंड से आयातित फूल और मुंबई व कोलकाता के कलाकारों द्वारा बनाई गई झांकियां शामिल होती हैं। भक्त शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और व्रत रखते हैं, जबकि मंदिर के सामने स्थित तालाब को पवित्र माना जाता है। हजारों भक्त यहां जलाभिषेक और विशेष पूजा के लिए आते हैं।

    मंदिर निर्माण और स्थापत्य शैली की कहानी: Sagar Pokhara Shiva Temple Bettiah

    मंदिर की ऊँचाई लगभग 50 फीट और चौड़ाई 60 फीट है। मंदिर के निर्माण में उस युग की उत्कृष्ट कला और शिल्प कौशल का उपयोग किया गया है। मंदिर की दीर्घायु सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान और विंध्याचल से पत्थर मँगवाए गए थे। दीवारों और पत्थरों पर प्रदर्शित कलाकृतियाँ उस काल की कला को दर्शाती हैं। गर्भगृह (मुख्य हॉल) में भगवान शिव की एक मूर्ति स्थापित है।

    बेतिया सागर पोखरा तालाब का महत्व

    सागर पोखरा तालाब सिर्फ़ जलस्रोत ही नहीं, बल्कि एक बहुमूल्य ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है। मंदिर और तालाब का यह संगम न सिर्फ़ श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, बल्कि बेतिया की पहचान और प्रतिष्ठा का भी अभिन्न अंग है।

    मंदिर के सामने एक विशाल तालाब है, जिसमें सात सागरो का पवित्र जल डाला गया था। इसलिए इसे ‘सागर पोखरा’ कहा जाता है। प्रत्येक सोमवार सुबह 8 बजे से तालाब के पास विशेष जल अभिषेक होता है। सागर पोखरा का तालाब मंदिर के उत्तरी तट पर स्थित है। यह तालाब एक ऐतिहासिक धरोहर है।

    मंदिर परिसर का वातावरण आध्यात्मिक रूप से शांत और निर्मल है। मंदिर और तालाब का यह संगम भव्यता और वैभव का एक अनोखा अनुभव प्रदान करता है। मान्यताओं और पुरानी कहानियों के अनुसार सागर पोखरा शिव मंदिर के निर्माण के समय ही तालाब की भी खुदाई की गई थी, ताकि भक्त इसका उपयोग जलाभिषेक के लिए कर सकें।

    यहाँ लगने वाले मेले और धार्मिक आयोजन आपसी भाईचारे और सामुदायिक एकता को बढ़ावा देते हैं। सावन और महाशिवरात्रि के महीनों में लगने वाले मेले स्थानीय व्यापारियों और छोटे दुकानदारों को भी काफ़ी मदद पहुँचाते हैं। यह तालाब न सिर्फ़ आस्था का केंद्र है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी योगदान देता है।

    हालाँकि समय बदल गया है, सागर पोखरा तालाब (Sagar Pokhara Shiva Temple Bettiah) आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना सदियों पहले था। यह बेतिया की एक सांस्कृतिक विरासत है, जो आने वाली पीढ़ियों को इतिहास, आस्था और एकता की विरासत से जोड़ती है।

    सागर पोखरा शिव मंदिर बेतिया: वर्तमान स्थिति

    सागर पोखरा शिव मंदिर बेतिया का एक जीवंत धार्मिक केंद्र है, जहाँ प्रतिदिन श्रद्धालु आते हैं। मंदिर परिसर में पूजा और जलाभिषेक किया जाता है, जिससे श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभूति और सुविधा दोनों मिलती है। स्थानीय प्रशासन और मंदिर प्रबंधन समिति के बीच बैठकें मंदिर की स्वच्छता, सुरक्षा और रखरखाव पर चर्चा करती हैं।

    समय के साथ, कुछ चुनौतियाँ सामने आई हैं। मंदिर की प्राचीन मूर्तियाँ और स्तंभ जीर्ण-शीर्ण हो गए हैं, और परिसर में पर्याप्त आधुनिक इमारतों का अभाव है। सागर पोखरा शिव मंदिर न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यहाँ भजन, कीर्तन, कथा और मेले आयोजित होते हैं, जो स्थानीय समुदायों के बीच एकता को बढ़ावा देते हैं।

    भविष्य की संभावनाएँ सागर पोखरा शिव मंदिर

    Sagar Pokhara Shiva Temple Bettiah भविष्य के लिए अपार संभावनाओं से भरा है। यदि इसे एक धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए, तो यह बेतिया और पूरे पश्चिमी राज्य के प्रमुख आकर्षणों में से एक बन सकता है। पुरातत्व विभाग और विशेषज्ञों को इस प्रयास में शामिल किया जा सकता है।

    मंदिर परिसर में नियमित धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करके इसकी सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को विकसित और सुदृढ़ किया जा सकता है।

    यदि प्रशासन और स्थानीय समुदाय मिलकर मंदिर का विकास, आधुनिकीकरण, सुरक्षा व्यवस्था और बेहतर प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करके इसे और भी आकर्षक बनाएँ, तो यह स्थल राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक पर्यटन का केंद्र बन सकता है।

  • History of Bettiah Jangi Masjid: जानिए हमारे बेतिया की शान जंगी मस्जिद का इतिहास, यहां जाने पूरी कहानी

    History of Bettiah Jangi Masjid: जानिए हमारे बेतिया की शान जंगी मस्जिद का इतिहास, यहां जाने पूरी कहानी

    History of Bettiah Jangi Masjid: बेतिया शहर अपने आप में एक इतिहास है, जिस तरह भारत की आजादी का इतिहास बेतिया से जुड़ा है, उसी तरह यहां कई ऐतिहासिक धरोहरें हैं, उन्हीं में से एक है बेतिया की जंगी मस्जिद। बेतिया जंगी मस्जिद शहर के बीचोंबीच मीना बाजार में स्थित है, 115 फीट ऊंची यह मस्जिद बेतिया की शान के रूप में शहर के प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। जंगी मस्जिद का नाम सुनकर कई लोगों को लगता है कि यह किसी युद्ध या लड़ाई से जुड़ी होगी, लेकिन हकीकत कुछ और ही है।

    बेतिया जंगी मस्जिद सिर्फ ईंट और मिट्टी से बनी एक इमारत नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, आपसी भाईचारे और इतिहास का एक हिस्सा है जो सभी को एक साथ जोड़े रखती है। तो आइए, जानते हैं इस मस्जिद की कहानी (History of Bettiah Jangi Masjid), जिसे सुनकर हर बेतिया वासी को गर्व होगा कि यह हमारी अपनी धरती है, हमारी पहचान बेतिया है। ‘जंगी’ नाम सुनते ही मन में लड़ाई-झगड़े की छवि उभरती है, लेकिन असल में इसका नाम श्री जंगी खान नामक एक बहादुर सेनापति के नाम पर रखा गया है।

    कहा जाता है कि उस समय बेतिया के राजा के अधीन जंगी खाँ सेनापति थे। 1745 के आसपास जंगी खाँ और उसकी सेना इसी स्थान पर नमाज़ अदा किया करती थी। उन्होंने ठहरने और नमाज़ अदा करने के लिए इसी स्थान को चुना था, जो बाद में धीरे-धीरे यह एक मस्जिद के रूप में उभर आया। इसलिए ‘जंगी’ शब्द का अर्थ लड़ाई नहीं, बल्कि बहादुरी, नेतृत्व और सम्मान का प्रतीक है।

    जंगी मस्जिद कैसे एक छोटी सी जगह से बेतिया की एकता का सबसे बड़ा केंद्र बना

    शुरुआत में यह जगह नमाज़ पढ़ने के लिए एक छोटी सी जगह थी, जहाँ श्री जंगी खान की सेना के पठान सैनिक दिन भर की थकान के बाद आराम करते और नमाज़ पढ़ते थे। धीरे-धीरे इस छोटी सी जगह का न सिर्फ़ विस्तार किया गया, बल्कि इसे एक भव्य मस्जिद का रूप भी दिया गया, जो आज अपनी खूबसूरती और ऐतिहासिक महत्व के लिए पूरे बेतिया में जानी जाती है।

    मस्जिद की मीनार लगभग 115 फीट ऊँची है, जो शहर की खूबसूरत तस्वीर में एक अलग ही चमक भर देती है। 2005 में बेतिया के स्थानीय लोगों ने चंदा इकट्ठा करके इस मीनार का निर्माण कराया। इस काम में भूकंपरोधी तकनीक का इस्तेमाल किया गया ताकि यह मीनार सालों तक मज़बूती से खड़ी रहे और इस मस्जिद में लगभग 900 लोग एक साथ नमाज़ अदा कर सकें, जो इसे न सिर्फ़ एक धार्मिक स्थल बनाता है, बल्कि पूरे समुदाय की एकता का एक बड़ा केंद्र भी बनाता है।

    जंगी मस्जिद के मुख्य इमाम की सूची (1745 से वर्तमान तक)

    क्रम (series)इमाम का नाम (Name of Imams)टिप्पणी/संबंध (Relation)वर्ष (Years)
    1हाफ़िज़ अब्दुल रहमानजंगी खान के समय में मस्जिद के पहले इमाम1745/1850
    2मौलाना असगर अलीअब्दुल रहमान के बाद, अगली पीढ़ी से1850/1900
    3हाफ़िज़ मोहम्मद गयासुद्दीनअब्दुल रहमान के बेटे1900/1950
    4मौलाना (Local restaurant)समुदाय द्वारा निर्वाचित इमाम1950/2000
    5जानकारी उपलब्ध नहीं2025

    जंगी मस्जिद के पहले इमाम हाफ़िज़ अब्दुल रहमान साहब थे, जो धार्मिक शिक्षा और समाज सेवा में सक्रिय थे। उनके बाद मौलाना असगर अली और हाफ़िज़ मोहम्मद ग़यासुद्दीन साहब जैसे कई प्रतिष्ठित इमाम आए, जिन्होंने मस्जिद को सिर्फ़ नमाज़ पढ़ने की जगह नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक केंद्र बनाया।

    जंगी मस्जिद का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

    • मस्जिद के आसपास छोटे-छोटे कार्यक्रम और सामाजिक आयोजन होते रहते हैं।
    • यह स्थान बेतिया के मुस्लिम समुदाय का हृदय स्थल है, जहाँ लोग अपने सुख-दुख साझा करते हैं।
    • यहाँ ईद और अन्य त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं।
    • यह हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की भी एक मिसाल है, क्योंकि यहाँ हर समुदाय के लोग सम्मान के साथ रहते हैं।

    यहाँ के लोग अपने इमाम साहब को परिवार का हिस्सा मानते हैं और किसी भी विवाद या समस्या की स्थिति में मस्जिद में सलाह-मशविरा किया जाता है ताकि लोगों को किसी भी समस्या से निजात मिल सके।

    मस्जिद में विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित

    जंगी मस्जिद बेतिया के मुस्लिम समुदाय के लिए सिर्फ़ एक इबादतगाह ही नहीं, बल्कि प्रमुख त्योहारों और जलसों का एक महत्वपूर्ण केंद्र भी है। यहाँ हज़ारों लोग इकट्ठा होते हैं, खासकर ईद-उल-फितर और ईद-उल-अज़हा के दौरान। इन मौकों पर मस्जिद की सफ़ाई, सजावट और जश्न मनाने की ज़िम्मेदारी बुज़ुर्गों और युवाओं की होती है। रमज़ान के पवित्र महीने में, तरावीह की नमाज़ के बाद, सामूहिक इफ़्तार का आयोजन किया जाता है।

    जिसमें न सिर्फ़ मुस्लिम समुदाय के लोग, बल्कि आसपास के इलाके के लोग भी शामिल होते हैं। रमज़ान के महीने में, चाहे किसी भी धर्म या संप्रदाय के लोग हों, जंगी मस्जिद के आसपास का जीवन देखने लायक होता है। इस रमज़ान के दौरान भोजन और राहत सामग्री भी उपलब्ध कराई जाती है, जो समुदाय की सहानुभूति और सहयोग का प्रतीक है।

    इसके अलावा, मस्जिद नियमित रूप से बच्चों के लिए धार्मिक शिक्षा यात्राएँ भी आयोजित करती है, ताकि युवा पीढ़ी अपने धर्म और सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी रहे या अपने धर्म को समझ सके। यहाँ शिक्षा निःशुल्क है, अमीर और गरीब बच्चे एक साथ पढ़ते हैं। इस प्रकार, जंगी मस्जिद न केवल धार्मिक आयोजनों का स्थान है, बल्कि बेतिया के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है, जो दोस्ती और भाईचारे को मजबूत करता है।

    आधुनिक काल में जंगी मस्जिद

    • बिजली, पानी और स्वच्छता की पूरी व्यवस्था है।
    • किसी भी धर्म के लोग यहाँ आ सकते हैं या रह सकते हैं।
    • मीनार का निर्माण भूकंपरोधी तकनीक से किया गया है, ताकि सुरक्षा बनी रहे।
    • मस्जिद की देखरेख एक समिति करती है।
    • जो हमेशा साफ-सफाई और व्यवस्था का ध्यान रखता है।

    आज के समय में, मस्जिद आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। जैसे किसी भी धर्म के लोग यहाँ आ सकते हैं, सकते हैं, यहाँ कोई रोक-टोक नहीं है। जंगी मस्जिद से पूरे बेतिया का नज़ारा दिखता है और एक खूबसूरत नज़ारा पेश करता है।

    बेतिया की जंगी मस्जिद की मीनार की लंबाई और उसकी भव्यता

    बेतिया शहर में कई ऐतिहासिक इमारतें हैं, लेकिन जंगी मस्जिद की मीनार अपनी ऊँचाई और भव्यता के लिए विशिष्ट है। लगभग 115 फीट ऊँची यह मीनार पूरे बेतिया में सबसे बड़ी मानी जाती है। 7 मंजिलों में फैली इस मीनार की संरचना और मजबूती देखने लायक है।

    स्थानीय लोग इसे बेतिया का गौरव कहते हैं क्योंकि इसका न केवल धार्मिक महत्व है, बल्कि यह शहर के सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन का केंद्र भी है। यहाँ से ऊपर चढ़ने पर आपको बेतिया की गलियों, बाज़ारों और मैदानों का अद्भुत नज़ारा दिखाई देता है। जंगी मस्जिद की यह मीनार भी बेतिया की सबसे बड़ी मस्जिदों में गिनी जाती है, जो हर समुदाय को जोड़ने का काम करती है।

    यह मीनार इतिहास और आधुनिकता का एक खूबसूरत संगम है, जो बेतिया की पहचान में एक विशेष स्थान रखती है। यह मीनार न केवल ऊँचाई में, बल्कि अपनी वास्तुकला और आधुनिक तकनीक के लिए भी खास है। इसे भूकंपरोधी तकनीक से बनाया गया है, जिसकी वजह से यह वर्षों तक मजबूती से खड़ी रहती है। हर मंजिल पर स्थित बालकनी से बेतिया का पूरा दृश्य देखा जा सकता है, जो आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

  • Population of Bettiah: 2011 की जनगणना से लेकर 2025 में नगर निगम बनने तक का सफ़र

    Population of Bettiah: 2011 की जनगणना से लेकर 2025 में नगर निगम बनने तक का सफ़र

    Population of Bettiah: बेतिया, जो कभी एक सीमित क्षेत्रफल वाली नगर परिषद थी, आज तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या और शहरी विकास के साथ नगर निगम बन गई है। 2011 की विश्वसनीयता के अनुसार, बेतिया की कुल जनसंख्या (Population of Bettiah) लगभग 1,32,209 थी और यह शहर अपने पुराने आधिपत्य तक ही सीमित था।

    लेकिन एक दशक में इस ऐतिहासिक शहर ने तेज़ी से विकास किया और इसके साथ ही इसकी भौगोलिक सीमा, जनसंख्या और संरचनात्मक विशेषताओं का भी काफ़ी विकास हुआ। शहर के विस्तार और जनसंख्या वृद्धि को देखते हुए, बिहार सरकार ने 26 दिसंबर 2020 को बेतिया को नगर निगम (Nagar Nigam Municipal Corporation) का दर्जा दिया। पहले बेतिया में कुल 39 वार्ड थे, लेकिन नए क्षेत्र को जोड़ने के बाद यह संख्या बढ़कर 46 हो गई।

    2025 तक बेतिया नगर निगम क्षेत्र की जनसंख्या (Population of Bettiah) लगभग 414,453 पहुँच चुकी है, यानी मात्र 14 वर्षों में तीन गुना वृद्धि। ये आँकड़े दर्शाते हैं कि बेतिया अब न केवल पश्चिम चंपारण ज़िले का मुख्यालय है, बल्कि उत्तर बिहार के प्रमुख उभरते शहरी इलाकों में से एक बन गया है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि पिछले एक दशक में किस तरह के बदलावों के संकेत मिले हैं।

    पिछले कुछ वर्षों में बेतिया की जनसंख्या में वृद्धि (Population of Bettiah Past Few Years)

    वर्ष (Year)अनुमानित जनसंख्या (Estimated Population)वृद्धि दर (Growth Rate)
    20111,32,209+24.6%
    20203,75,000 (अनुमान) Estimated+183.7%
    20254,14,453 (अनुमान) Estimated+10.5%

    2011 में बेतिया की जनसंख्या 1,32,209 थी, जो दस वर्षों में लगभग 25% की वृद्धि थी। इसमें 69,529 पुरुष और 62,680 महिलाएँ शामिल थीं। इस अवधि में शिक्षा, चिकित्सा और व्यावसायिक क्षेत्र में विस्तार के कारण आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन बढ़ा।

    2020 तक बेतिया नगर परिषद को नगर निगम में बदलने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। इस समय तक, शहर के बुनियादी ढाँचे के आसपास के कई उप-क्षेत्र इसमें शामिल हो गए थे। अनुमान के अनुसार, 2020 में बेतिया नगर क्षेत्र की जनसंख्या लगभग 3.75 लाख तक पहुँच गई।

    2025 के लिए नगर निगम क्षेत्र में नामांकन 414,453 स्वीकृत किया गया है। यानी 2011 की तुलना में यह संख्या काफ़ी बढ़ गई है। यह दर उत्तर बिहार के अन्य शहरों जैसे मोतिहारी, पशुपालन और बिहार से काफ़ी ज़्यादा है।

    इस तीव्र वृद्धि के पीछे मुख्य कारण

    • प्रशासनिक सीमाओं का विस्तार और नगर निगमों का गठन
    • शैक्षणिक और चिकित्सा संस्थानों का विकास
    • आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन
    • बाज़ारों और व्यावसायिक अवसरों का विस्तार

    बेतिया नगर निगम की यह जनसंख्या वृद्धि (Population of Bettiah) उत्तर बिहार में एक सामाजिक-आर्थिक ध्रुव केंद्र बनने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रही है।

    2011 से 2025 तक बेतिया में लिंगानुपात

    वर्ष (Year)पुरुष जनसंख्या (Male population)महिला जनसंख्या (Female population)प्रति 1000 पुरुष (Per 1000 males)
    201169,52962,680902 महिला (Female)
    2020 (अनुमान)1,95,000 लगभग1,80,000 लगभग923 महिला (Female)
    2025 (अनुमान)2,14,000 लगभग2,00,453 लगभग936 महिला (Female)

    2011 से 2025 के बीच बेतिया का लिंगानुपात 902 से बढ़कर लगभग 936 हो गया है। यह सुधार दर्शाता है कि सरकार और समाज द्वारा किए गए कुछ प्रयासों, जैसे “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान, महिला स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और जन जागरूकता कार्यक्रमों का कुछ हद तक सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

    हालाँकि, यह आँकड़ा अभी भी 1000 के बराबर नहीं है, जिसे एक आदर्श स्थिति माना जाता है। इसका अर्थ है कि समाज में अभी भी कई स्तरों पर सुधार की आवश्यकता है। महिला शिक्षा, रोज़गार में भागीदारी और सामाजिक सुरक्षा जैसी पहल इस लिंगानुपात को संतुलित करने में मदद कर सकती हैं।

    यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो आने वाले वर्षों में बेतिया एक अधिक सामाजिक रूप से संतुलित और समावेशी शहर बन सकता है। 2011 के भारत अवलोकन के अनुसार, बेतिया नगर परिषद क्षेत्र में प्रति 1,000 पुरुषों पर केवल 902 महिलाएँ थीं।

    यह आँकड़ा सामाजिक असमानता का प्रतीक था और उस समय बिहार राज्य के औसत से काफ़ी कम था। इस विषम लिंगानुपात को अक्सर महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य लाभ और भेदभाव जैसे मुद्दों से जोड़ा जाता है। लेकिन बेतिया ने पिछले एक दशक में काफ़ी प्रगति की है।

    बेतिया की धार्मिक समुदाय जनसंख्या (2025 अनुमान): Religious Population of Bettiah

    धार्मिक समुदाय (Religion)आइसलैंड जनसंख्या (Estimated Population)प्रतिशत (Percentage)
    हिंदू (Hindu)3,31,998 लगभग (Estimated)80%
    मुसलमान (Muslim)41,445 लगभग (Estimated)10%
    ईसाई (Christians)8,289 लगभग (Estimated)2%
    अन्य (Others)33,721 लगभग (Estimated)8%

    बेतिया शहर की लगभग 80% आबादी हिंदू है, जो बेतिया के सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक जीवन का एक प्रमुख हिस्सा है। हिंदू त्योहार, मंदिर और परंपराएँ यहाँ की संस्कृति का आधार हैं। मुस्लिम समुदाय अब लगभग 10% आबादी का प्रतिनिधित्व करता है।

    शहरीकरण, रोज़गार के अवसरों और सामाजिक एकीकरण के कारण इसमें वृद्धि हुई है। मुस्लिम समुदाय शिक्षा, व्यवसाय और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सक्रिय है। ईद, रमज़ान और मुहर्रम जैसे त्यौहार यहाँ बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाए जाते हैं, जो बेतिया की सहिष्णुता को सलाम करता है।

    जहाँ हिंदू और मुसलमान दोनों मिलकर त्योहार मनाते हैं। बेतिया की लगभग 2% आबादी ईसाई समुदाय की है, जो शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है। बेतिया समुदाय के सामाजिक विकास में चर्च और मिशनरी संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

    Population of Bettiah की कुल जनसंख्या में सिख, जैन, बौद्ध आदि जैसे अन्य अल्पसंख्यक धर्मों की हिस्सेदारी लगभग 8% है, जो Population of Bettiah की संस्कृति को और समृद्ध बनाती है। ये समुदाय धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों के माध्यम से सामाजिक समरसता को बढ़ावा देते हैं।

    इस प्रकार, बेतिया एक ऐसा शहर है जहाँ विभिन्न धर्मों के समुदाय एक साथ रहते हैं और शहर के सामाजिक विकास में अपनी भूमिका निभाते हैं। यह धार्मिक समरसता और सांस्कृतिक विविधता बेतिया को एक सशक्त और प्रगतिशील शहर बनाती है।

    बेतिया जाति जनसंख्या 2025 (अनुमान): Bettiah Caste Population

    जाति समूह (Caste Group)अनुमानित जनसंख्या (Estimated Population)प्रतिशत (Percentage)
    ST (Scheduled Tribes) अनुसूचित जनजाति 2,500 Estimated0.6%
    SC (Scheduled Caste) अनुसूचित जाति 26,100 Estimated6.3%
    (General Category) सामान्य श्रेणी1,24,300 Estimated30%
    (OBC+EBC) अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग2,61,100 Estimated63%

    Total Population of Bettiah 2025 estimate 4,14,453

    बेतिया शहर में हर जाति के लोग मिलजुल कर और खुशी-खुशी रहते हैं। यहाँ ज़्यादातर लोग ओबीसी और ईबीसी जातियों से हैं, यानी वे जो मज़दूरी, खेती या छोटा-मोटा व्यवसाय करते हैं। इनकी आबादी सबसे ज़्यादा है। इसके बाद सामान्य वर्ग के लोग आते हैं, जैसे ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार आदि।

    ये लोग शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आगे माने जाते हैं और बेतिया शहर की आबादी में इनकी संख्या दूसरे नंबर पर आती है। एससी (दलित) समाज की आबादी बेतिया शहर की आबादी के लिहाज़ से तीसरे नंबर पर आती है, और धीरे-धीरे ये भी शिक्षा और रोज़गार के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। वहीं एसटी (आदिवासी) की संख्या बहुत कम है।

    बेतिया में इनकी आबादी उनके बेटे की आबादी के हिसाब से चौथे नंबर पर आती है, जो ज़्यादातर गाँवों या आस-पास के इलाकों में रहते हैं। हर जाति के लोग अपने-अपने तरीक़े से इस शहर को आगे बढ़ा रहे हैं। कोई शिक्षा में, कोई व्यवसाय में, कोई नौकरी में, सबका अपना-अपना योगदान है।