बिहार के पश्चिम चंपारण यानि बेतिया के वीटीआर के वन प्रमंडल दो के हरनाटाड़ वनक्षेत्र में दो बार ट्रैकुलाइज करने के बाद भी आदमखोर बाघ पकड़ से दूर है। दिनांक बुधवार को बुजूर्ग किसान को अपना शिकार बनाने के बाद बाघ देर रात तक वनकर्मियों को छकाता रहा। देर शाम उसे ट्रैकुलाइज कर घेर लिया गया था, लेकिन अंधेरे में वह ओझल हो गया। इधर, ग्रामीणों में यह बात तेजी से फैल गई कि उसे पकड़ लिया गया है। दिनांक गुरुवार को भी दिनभर आदमखोर बाघ की खोज जारी रही, अब ड्रोन कैमरे की सहायता ली जा रही है।
देवरिया तरूअनवा पंचायत के बरवा काला सरेह में दिन बुधवार को दोपहर खेत की सोहनी कर रहे राम प्रसाद उम्र (60) को बाघ ने मार डाला था। टीम ने बताया कि दवा का असर 30-40 मिनट तक ही रह पाता है। ऐसे में वह गन्ने के खेत में गुम हो गया। उसके बाद काफी ढूंढ़ने पर भी नहीं मिला। ड्रोन कैमरे से आदमखोर बाघ की निगरानी की जा रही है।
West Champaran news : पश्चिम चंपारण वन विभाग
आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए पांच वनक्षेत्रों के वन कर्मियों के साथ दो वन विभाग के पशु डॉक्टर मनोज कुमार टोनी, संजीव कुमार, दो बायोलॉजिस्ट, सौरभ कुमार, चंदन कुमार झा, वाल्मीकिनगर वनक्षेत्र अधिकारी रौबिन आनंद, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के वरीय प्रबंधक डॉक्टर. कमलेश कुमार मौर्या, लौकरिया थानाध्यक्ष अभय कुमार चिउटाहा वनक्षेत्र अधिकारी, सुरेंद्र प्रसाद, के साथ सैकड़ों की संख्या मे वनकर्मी व पुलिस टीम मौजूद रही। रेस्क्यू के लिए ड्रौन कैमरा, चार पिंजरा, दो-दो ट्रैकुलाइजर गन, महाजाल, रेस्क्यू वैन शामिल हैं। सरेह में दो-दो पिंजरे में बकरियों को रखा गया है ताकि आदमखोर बाघ भोजन की तलाश में बकरी पर हमला करे। उस दौरान पिंजरा में वह कैद हो जाएगा।
दिनांक बुधवार रात को आठ बजे आदमखोर बाघ को किया बेहोश, पर मिला नहीं
पश्चिम चंपारण वाल्मीकिनगर के वनक्षेत्र अधिकारी रौबिन आनंद ने बताया कि आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए बुधवार की दोपहर से रेस्क्यू टीम लगी हुई है। दिनांक बुधवार की देर रात छह व आठ बजे आदमखोर बाघ को दो-दो बार ट्रैकुलाइज किया गया। इसमें एक बार वह ट्रैकुलाइज होने से बच गया दूसरी बार में रात आठ बजे आदमखोर बाघ को ट्रैकुलाइज किया गया। ट्रैकुलाइज होने के बाद आदमखोर बाघ गन्ने के खेत में भाग गया। रेस्क्यू टीम ने गन्ने के खेत को चारों ओर से घेर कर खोज अभियान चलाया। लेकिन 40 मिनट तक अंधेरा होने की वजह से उसे नहीं ढूंढ़ा जा सका।
आदमखोर बाघ को ट्रैकुलाइज करने वाली दवा का असर 30 से 40 मिनट ही रहता है। 40 मिनट उसके बाद बाघ फिर होश में आ जाता है। इसको देखते हुए रेस्क्यू टीम को वापस लौट दिया गया। ताकि आदमखोर बाघ से किसी को खतरा नहीं हो। गुरुवार सुबह से ही रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। लेकिन देर शाम तक बाघ पकड़ से बाहर रहा। हालांकि ड्रोन कैमरे में वह कई बार दिखा।